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गहने तो नकली देखे होंगे, अब गहनों की हॉलमार्किंग भी नकली, ये जान लिया तो झट से पहचान लेंगे

दुनिया के दूसरे सबसे बड़े सोने के ज्वेलरी मार्केट (Gold Jewellery Market) में भारतीय उपभोक्ताओं को नकली हॉलमार्क वाला सोना खरीदने का जोखिम है. प्रमुख ज्वैलर्स और इंडस्ट्रीज बॉडीज ने यह चेतावनी दी है.

नकली हॉलमार्किंग से आम लोगों को नुकसान के साथ-साथ सरकार को भी रेवेन्यू हानि का भी सामना करना पड़ रहा है. मालाबार गोल्ड एंड डायमंड के चेयरमैन एम. पी. अहमद का कहना है कि फेक हॉलमार्क वाली ज्वेलरी बाजार में 200 से 300 रुपये प्रति ग्राम सस्ती मिलती है. इस कारण से भी आम लोगों का ध्यान इस ओर नहीं जाता.

जून 2021 से ही ज्वैलरी की हॉलमार्किंग अनिवार्य
अहमद का कहना है कि ब्यूरो ऑफ इंडियन स्टैंडर्ड्स (BIS) ने देश में जून 2021 से ही ज्वैलरी की हॉलमार्किंग अनिवार्य कर दी है. लेकिन अशुद्ध या स्मगल किए सोने से अवैध तरीके से नकली हॉलमार्क ज्वेलरी बनाई जाती है. इससे उन ज्वेलर्स को नुकसान होता है, जो सही और वैध तरीके से बिजनेस कर रहे हैं.

क्‍या होता है हॉलमार्किंग?
हॉलमार्किंग सोने की शुद्धता की गारंटी होती है. हॉलमार्क हर आभूषण पर लगने वाला एक निशान होता है. इसमें बीआईएस का लोगो, उसकी शुद्धता दी होती है. इसके साथ ही टेस्टिंग सेंटर आदि की भी जानकारी हॉलमार्किंग में मिलती है. किसी आभूषण में सोने की मात्रा अलग-अलग होती है, जो उसकी शुद्धता यानी कैरेट के आधार पर तय होती है. कई बार ज्वेलर्स कम कैरेट के आभूषणों पर ऊंची कैरेट की कीमतें वसूलते हैं. इसी को खत्म करने के लिये हॉलमार्किग को अनिवार्य किया गया है.