सुप्रीम कोर्ट (Supreme Court) ने समझाइश देते हुए इंडियन प्रीमियर लीग के पूर्व प्रमुख ललित मोदी (Lalit Modi) और सुप्रीम कोर्ट के वरिष्ठ वकील मुकुल रोहतगी (Mukul Rohatgi) को आपस में समझ कर मामला सुलझाने का निर्देश दिया है. कोर्ट ने कहा कि दोनों पक्ष परिपक्व हैं. इस तरह की टिप्पणी नहीं करनी चाहिए. दरअसल ललित मोदी ने सोशल मीडिया पर एक पोस्ट में मुकुल रोहतगी के खिलाफ सख्त टिप्पणी कर दी थी.
इस टिप्पणी को अपमानजनक मानते हुए मुकुल रोहतगी ने सुप्रीम कोर्ट की शरण ली थी. कोर्ट ने दोनों पक्षों के वकीलों को मामला सुलझाने का निर्देश दिया है. सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि इस मामले को लंबा मत खीचिंए, हम कोई आदेश नहीं दे रहे हैं. यह कुछ और नहीं बल्कि परिवार के किसी सदस्य द्वारा गुस्से का इजहार करने जैसा है. जब भी आप सार्वजनिक रूप से लड़ना शुरू करते हैं, तो यह हमेशा हानिकारक होता है. बता दें कि पिछले साल एक अगस्त को आईपीएल के प्रमुख रहे ललित मोदी और उनकी मां बीना मोदी से जुड़े एक पारिवारिक संपत्ति विवाद को निपटाने के लिए सुप्रीम कोर्ट के पूर्व न्यायाधीश जस्टिस आरवी रवीन्द्रन को मध्यस्थ के लिए नियुक्त किया था. मुकुल रोहतगी संपत्ति विवाद में बीना मोदी का प्रतिनिधित्व कर रहे हैं.
मेरी चर्चा करना है तो मिस्टर मोदी कहें, अगली बार इतनी शालीनता से नहीं कहूंगा
ललित मोदी ने अपने इंस्टाग्राम अकाउंट पर एक पोस्ट में लिखा था कि वकीलों की चर्चा के शौकीन है, यह तो सबको पता है. लेकिन उस गॉसिप में मुझे भगोड़ा कहने से बचें. मेरी चर्चा करनी है तो मुझे मिस्टर मोदी कहकर संबोधित किया करें. अगली बार इतनी शालीनता से नहीं कहूंगा. इस पोस्ट में उन्होंने मुकुल रोहतगी का फोटो लगाया था और उन्हें आदरणीय मिस्टर रोहतगी जी, कहकर अपनी बात लिखी थी