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स्‍वास्‍थ्‍य उद्योग को बजट में जीएसटी नियमों समेत अन्य विनियमों को आसान बनाए जाने की संभावना

केन्‍द्रीय बजट 2023- से हेल्थकेयर एवं फार्मा उद्योग को काफी उम्‍मीदें हैं. फार्मा उद्योग को सशक्त बनाने और कैपिटल आउटले पर विशेष रूप से ध्यान दिए जानें की संभावना है. इस सेक्टर में कारोबार को सुगम बनाने तथा फार्मा उद्योग के दीर्घकालिक विकास को बढ़ावा देने के लिए उचित कदम उठाए जाने की पूरी संभावना है.

इन्फोर्मा मार्केट्स इन इंडिया के मैनेजिंग डायरेक्टर योगेश मुद्रास के अनुसार हेल्थकेयर और फार्मा उद्योग को बजट से उम्‍मीद है कि 2030 तक 120 बिलियन डॉलर-130 बिलियन डॉलर तक पहुंचने के दृष्टिकोण के साथ यह बजट अनुकूल नीतियां लेकर आएगा. बजट में जीएसटी नियमों एवं अन्य विनियमों को आसान बनाया जाएगा ताकि फार्मा उद्योग के विकास को सुनिश्चित किया जा सके. इसके अलावा इस सेक्टर में उपेक्षित क्षेत्रों के विकास तथा इनोवेशन और आर एंड डी को बढ़ावा देने के लिए टैक्स में छूट और प्रोत्साहन पर ध्यान देने की भी ज़रूरत है.

आगामी बजट में टेलीमेडिसिन और ई-हेल्थ के लिए सीएसआर फंड पर भी ध्यान दिया जाने की पूरी संभावना है, ताकि सार्वजनिक और निजी चिकित्सा संस्थानों में यूएचआई को बढ़ावा दिया जा सके. सरकार चिकित्सा उपकरणों पर 2.5 फीसदी की उच्च कस्टम ड्यूटी को कम करने और इसे तर्कसंगत बनाने के लिए भी कदम उठा सकती है.

वहीं, ग्‍लोबस इंडिया एमडी डा. अनिल वर्मा का मानना है कि बजट में चिकित्सा प्रणाली को स्थायी बनाने के लिए सार्वजनिक-निजी भागीदारियों (पीपीपी) को भी बढ़ावा दिया जाएगा. पिछले साल, सरकार ने एक्टिव फार्मा इन्ग्रीडिएन्ट उद्योग के लिए प्रोडक्शन-लिंक्ड इन्सेन्टिव के महत्व को पहचाना. संभावना है कि इस साल के केन्द्रीय बजट में कच्चे माल के उत्पादन में आत्मनिर्भरता को बढ़ाने तथा मैनुफैक्चरिंग को प्रतिस्पर्धी बनाने पर ध्यान केन्द्रित किया जाना चाहिए.