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मिडिल क्‍लास मांग रहा- टैक्‍स स्‍लैब में बदलाव, महामारी के बाद 25% घट गई कमाई

वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण (FM Nirmala Sitharaman) 1 फरवरी को जब साल 2023 का बजट पेश करेंगी तो मिडिल क्‍लास अपने लिए राहत की उम्‍मीद लगाए बैठा होगा. उसका कहना है कि महामारी और मंदी की चिंता से उसकी कमाई 25 फीसदी तक घट गई है. इससे उबरने के लिए सरकार को टैक्‍स में राहत देनी चाहिए और इस बार टैक्‍स स्‍लैब में भी बदलाव करना चाहिए.

ऑनलाइन प्‍लेटफॉर्म लोकलसर्किल ने एक सर्वे में बताया कि 309 जिलों के लोगों का कहना है कि उनकी कमाई 25 फीसदी तक घट गई है. लोकलसर्किल के फाउंडर सचिन टनेरिया का कहना है कि अब मिडिल क्‍लास को टैक्‍स में राहत दिए जाने की सख्‍त जरूरत लग रही है.

इनकम टैक्‍स बचाने के सबसे कारगर हथियार 80सी की लिमिट में आखिरी बार 2014-15 के बजट में बढ़ोतरी हुई थी, जब इसे 1 लाख से बढ़ाकर 1.5 लाख कर दिया गया था. 8 साल पहले कॉस्‍ट इंफ्लेशन इंडेक्‍स (CII) 240 था, जो अब बढ़कर 331 पहुंच चुका है. अगर मौजूदा खुदरा महंगाई दर 6 फीसदी भी मानी जाए तो अगले वित्‍तवर्ष तक यह बढ़कर 251 पहुंच जाएगा. ऐसे में एक्‍सपर्ट का मानना है कि सरकार को टैक्‍स बचाने के लिए 80सी के विकल्‍पों की लिमिट बढ़ानी ही होगी.

ग्रोथ नहीं स्‍टेबिलिटी पर जोर
HSBC के चीफ इंडिया इकोनॉमिस्‍ट प्रंजुल भंडारी का कहना है कि 2023 का बजट ग्रोथ पर जोर देने के बजाए फाइनेंशियल स्‍टेबिलिटी की ओर जाता दिखेगा. महंगाई और बढ़ता व्‍यापार घाटा सरकार के सामने चुनौतियां पेश कर रहा है. ऐसे में दोहरे मोर्चे पर खुद को संभालना बहुत बड़ी चुनौती है. उन्‍होंने कहा कि सरकार अपने राजस्‍व घाटे के आंकड़े को भी मौजूदा वित्‍तवर्ष के 6.4 फीसदी से घटाकर 5.8 फीसदी तक लाने में कामयाब हो सकती है. रिजर्व बैंक ने फरवरी में भी 0.25 फीसदी रेपो रेट बढ़ाने का संकेत दिया है, जिससे ग्रोथ और सुस्‍त होगी.