सरकार ने नेशनल हाइवे (NH) के निर्माण और मरम्मत में प्लास्टिक कचरे का उपयोग अनिवार्य कर दिया है. इससे शहर-गांव में उड़ते पॉलिथीन और प्लास्टिक के कचरे से निजात मिलेगी. इससे सड़कें ज्यादा मजबूत बनने के साथ लागत भी घटेगी. बता दें कि प्लास्टिक पर्यावरण के लिए भी नुकसानदेह होता है और प्रदूषण का भी कारण बनता है.
सड़क परिवहन और राष्ट्रीय राजमार्ग मंत्रालय (MoRTH) ने बीते 6 फरवरी को राज्यों और केंद्र सरकार की सड़क निर्माण एजेंसियों को गाइडलाइन जारी किए थे. स्टेट्समैन की एक खबर के मुताबिक, मंत्रालय के एक वरिष्ठ अधिकारी ने बताया कि जनवरी 2017 में उसने ठोस कचरा-प्लास्टिक कचरे का इस्तेमाल सड़क निर्माण में करने का फैसला किया था. इसमें एनएच के निर्माण में 10 फीसदी प्लास्टिक कचरे का इस्तेमाल होता है. उन्होंने कहा कि अब तक कई हजार किलोमीटर राजमार्गों के निर्माण में प्लास्टिक कचरे का इस्तेमाल किया जा चुका है.
प्लास्टिक कचरे को लेकर गाइडलाइन
गाइडलाइन के मुताबिक, सरकार ने 5 लाख आबादी वाले शहरी-ग्रामीण क्षेत्रों में 50 किलोमीटर के दायरे में एनएच की सर्विस रोड के निर्माण और मरम्मत में प्लास्टिक कचरे का इस्तेमाल अनिवार्य कर दिया है. इसके लिए जगह-जगह प्लास्टिक कचरे के कलेक्शन सेंटर बनाए जाएंगे, ताकि प्लास्टिक कचरे को हॉट मिक्स प्लांट तक पहुंचाया जा सके.
इंडियन रोड कांग्रेस के प्लास्टिक कोड के नए स्टैंडर्ड नवंबर 2013 में तैयार किए गए थे. सड़क निर्माण में प्लास्टिक कचरे का इस्तेमाल करने वाला यह दुनिया का पहला प्लास्टिक कोड है. इसमें हॉट मिक्स प्लांट में 10 फीसदी प्लास्टिक वेस्ट को तारकोल के साथ मिलाया जाता है. यह 15 फीसदी कम तारकोल की खपत करता है और हाइवेज को 5 के बजाय 10 साल के लिए टिकाऊ बनाता है.
दिल्ली-मुंबई एक्सप्रेसवे में प्लास्टिक से 138 किलोमीटर लंबी सड़क
दिल्ली-मुंबई एक्सप्रेसवे की लंबाई करीब 1386 किलोमीटर है. अगर इसमें 10 फीसदी प्लास्टिक का इस्तेमाल होता है तो यह 130 किलोमीटर से ज्यादा होगा.