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IB Vs Raw: IB और RAW में क्या होता है अंतर, दोनों में कौन है बेहतर! जानें कैसे करते हैं काम, क्या है पावर 

दुनिया के हर देशों के पास अपनी खुफिया एजेंसियां होती है. किसी भी देश की आंतरिक और बाहरी सुरक्षा इंटेलिजेंस की सूचना पर बहुत हद तक निर्भर रहता है. इंटेलिजेंस की सूचना के आधार पर कोई भी देश अपनी सुरक्षा के लिए सही समय पर सही कदम उठाते हैं. वैसे भी कहा जाता है कि इंटेलिजेंस की एक सही इंटेल से किसी भी बड़े खतरे को टाला जा सकता है. इंटेलिजेंस का काम बहुत ही जिम्मेदारी भरा होता है. इसमें एक चूक किसी भी अनहोनी का कारण बन सकती है. IB और RAW में नौकरी (Sarkari Naukri) करने का सपना हर भारतवासी का होता है. लेकिन क्या आप जानते हैं कि इन दोनों में क्या अंतर है और क्या काम करते हैं. अगर नहीं तो आप इस लेख में नीचे विस्तार से पढ़ सकते हैं…

इंटेलिजेंस ब्यूरो (IB)
इंटेलिजेंस ब्यूरो (IB) की स्थापना ब्रिटिश औपनिवेशिक शासन के दौरान हुई थी. वर्ष 1857 में असफल सिपाही विद्रोह ने अंग्रेजों को एक खुफिया संगठन बनाने के लिए मजबूर किया, जो भारत के कई हिस्सों में भारतीय विद्रोहियों और शासकों की गतिविधियों पर नजर रख सके. इसके बाद IB की स्थापना 23 दिसंबर, 1887 को लंदन में भारत के राज्य सचिव द्वारा “सेंट्रल स्पेशल ब्रांच” के रूप में की गई थी. 1920 में इसका नाम बदलकर इंटेलिजेंस ब्यूरो कर दिया गया.

इंटेलिजेंस ब्यूरो (IB), जिसे दुनिया का सबसे पुराना खुफिया संगठन माना जाता है. घरेलू खतरों का पता लगाने के लिए भारत की आंतरिक सुरक्षा एजेंसी के रूप में कार्य करता है. IB, कार्यों का कोई सेट फॉर्मेट नहीं है. IB के प्रमुख कार्यों में आतंकवाद का मुकाबला, VIP सुरक्षा, अलगाव विरोधी गतिविधियों, सीमा क्षेत्रों में खुफिया संग्रह और बुनियादी ढांचे की सुरक्षा के रूप में वर्गीकृत किया जा सकता है. IB, US, UK और इज़राइल में सुरक्षा एजेंसियों सहित विदेशी एजेंसियों के साथ साझेदारी भी बनाए रखता है. IB तकनीकी रूप से गृह मंत्रालय के अधिकार क्षेत्र में आती है.

रिसर्च एंड एनालिसिस विंग (RAW)
वर्ष 1968 तक इंटेलिजेंस ब्यूरो (IB), भारत की आंतरिक खुफिया जानकारी के लिए जिम्मेदार था, लेकिन बाहरी खुफिया जानकारी भी संभालता था. चीन के खिलाफ 1962 और पाकिस्तान के खिलाफ 1965 के युद्ध में भारतीय खुफिया विभाग के खराब प्रदर्शन के बाद सरकार को एक अलग बाहरी खुफिया एजेंसी की जरूरत महसूस हुई. इसलिए रिसर्च एंड एनालिसिस विंग (RAW) की स्थापना 1968 में मुख्य रूप से चीन और पाकिस्तान का मुकाबला करने के लिए की गई थी.

RAW नीति निर्माताओं और सेना को खुफिया जानकारी प्रदान करता है. यह भारत के पड़ोसी देशों (चीन, पाकिस्तान, श्रीलंका, म्यांमार आदि) की गतिविधियों पर पैनी नजर रखता है. RAW का प्राथमिक ध्यान चीन और पाकिस्तान पर रहता है. इसने बांग्लादेश के गठन में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई थी.