नागपुर में जी20 बैठक (G20 Summit Nagpur) से पहले शहर को चमकाया जा रहा है. इस कड़ी में कुछ दिन पहले ‘भिखारियों और ऐसे अन्य लोगों के समूहों’ को ट्रैफिक जंक्शनों और चौराहों पर इकट्ठा होने और भीख मांगने पर रोक लगाने वाला एक सर्कुलर जारी हुआ था. सर्कुलर जारी होने के बाद अब महाराष्ट्र पुलिस (Maharashtra Police) इसे लेकर एक्शन में आ गई है. पुलिस ने सड़कों से भिखारियों को हटाना शुरू कर दिया है. भिखारियों, बेघर लोगों और खानाबदोश समुदायों को शहर की सीमा से बाहर जाने का निर्देश दिया गया है.
इंडियन एक्सप्रेस की एक रिपोर्ट के अनुसार प्रशासन के इस कदम की सामाजिक कार्यकर्ताओं ने आलोचना की है. जिन्होंने कहा है कि यह आदेश समाज के गरीब और कमजोर सदस्यों को अपराधी बनाता है. दरअसल नागपुर पुलिस आयुक्त के कार्यालय द्वारा 8 मार्च को एक सर्कुलर जारी किया गया था जिसमें कहा गया था कि ‘भिखारी के रूप में प्रस्तुत करने’ और ‘अनधिकृत रूप से फुटपाथों, ट्रैफिक सिग्नल, डिवाइडरों पर कब्जा करने वालों’ के खिलाफ आपराधिक कार्रवाई की जाएगी
सर्कुलर में कहा गया था कि आईपीसी की धारा 188 (लोक सेवक द्वारा विधिवत आदेश देने की अवज्ञा) और अन्य संबंधित धाराओं के तहत उनके खिलाफ कार्रवाई की जाएगी. सर्कुलर में कहा गया था कि आदेश 9 मार्च से 30 अप्रैल के बीच लागू रहेगा जब तक कि इसे वापस नहीं लिया जाता. हालांकि अधिकारियों ने इस आदेश को G20 बैठक से किसी भी तरह के संबंध से इनकार किया है.
वहीं यशवंत स्टेडियम और कस्तूरचंद पार्क सहित शहर के विभिन्न क्षेत्रों में रहने वाले कई बेघरों ने कहा है कि उन्हें अधिकारियों द्वारा शहर छोड़ने के लिए कहा गया है. इस दौरान अधिकारियों ने उनसे कहा था कि विदेशी गणमान्य व्यक्ति शहर का दौरा करेंगे. उनसे अधिकारियों ने कहा कि वह दो महीने बाद शहर में लौटें. पारदी समुदाय की एक सदस्य प्रीति भोसले जिन्हें नागपुर छोड़ने के लिए मजबूर किया गया ने कहा, ‘हमें बताया गया था कि कई ‘विदेशी’ (विदेशी) शहर का दौरा करेंगे और इसलिए हमें जाना चाहिए. हमें बताया गया कि हम दो महीने बाद वापस आ सकते हैं.’