सरकार ने बुधवार को कहा कि महामारी (Covid-19) के प्रभावों के कारण गगनयान के चालक दल वाले पहले मिशन के प्रक्षेपण कार्यक्रम में बदलाव किया गया है. इसरो (ISRO) इसे 2024 के अंत तक भेजने की योजना बना रहा है. सरकार ने यह भी कहा कि महामारी के प्रभाव, लॉकडाउन के बाद अब गगनयान से संबंधित विभिन्न प्रणालियों की डिजाइन पूरी हो गयी है और कार्यक्रम परीक्षण चरण में प्रवेश कर चुका है. कार्मिक, लोक शिकायत और पेंशन तथा प्रधानमंत्री कार्यालय में राज्य मंत्री डॉ जितेंद्र सिंह ने लोकसभा में एक प्रश्न के लिखित उत्तर में कहा कि गगनयान के प्रथम कर्मी युक्त मिशन को प्रक्षेपित करने के लिए लक्ष्य 2022 था.
उन्होंने कहा कि हालांकि, लॉकडाउन के कारण विदेशी स्रोतों (Foreign Source) से कच्ची सामग्री (Raw material) आपूर्ति श्रंखला में बाधा और उद्योगों से हार्डवेयर की प्राप्ति में विलंब के कारण कार्यक्रम में परिवर्तन किया गया है. मंत्री ने केसिनेनी श्रीनिवास (Kesineni Srinivas) के प्रश्न के लिखित उत्तर में यह भी बताया कि लॉकडाउन के बाद विभिन्न कार्य केंद्रों में गगनयान से संबंधित गतिविधियों में अच्छी प्रगति हुई है. उन्होंने कहा कि अंतरिक्ष विभाग ने डिजाइन, गुणवत्ता तथा मानव अनुकूलन प्रमाणन तथा त्वरित खरीद समितियों की स्थापना के लिए सभी इसरो केंद्रों में विशेष दलों के गठन के माध्यम से गगनयान को पूरा करने के लिए विविध कदम उठाये हैं.
उन्होंने कहा कि लॉकडाउन के बाद के चरण में गगनयान से संबंधित विभिन्न प्रणालियों की डिजाइन पूरी हो गयी है और कार्यक्रम परीक्षण चरण (Testing Stage) में प्रवेश कर चुका है. सिंह ने कहा कि प्रथम परीक्षण रॉकेट मिशन, टीवी-डी1 मई 2023 के लिए निर्धारित है जिसके बाद 2024 की पहली तिमाही में दूसरा परीक्षण रॉकेट टीवी-डी2 मिशन और गगनयान के प्रथम चालक दल रहित मिशन (एलवीएम3-जी1) आयोजित किये जाएंगे.