भारत का सर्वोच्च चिकित्सा अनुसंधान संस्थान – इंडियन काउंसिल ऑफ मेडिकल रिसर्च (ICMR)- हेल्थ रिसर्च के क्षेत्र में ChatGPT जैसे आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस संचालित ऐप्स के प्रभावों को समझने में व्यस्त है और इसके उपयोग के लिए पहले से ही ‘नैतिक दिशानिर्देश’ बनाने की दिशा में काम कर रहा है. एक सरकारी अधिकारी ने बताया, ‘ChatGPT और AI के लिए, हम अभी तक नैतिक निहितार्थों को पूरी तरह से समझ नहीं पाए हैं. जब हम उनका अधिक उपयोग करना शुरू करेंगे तो चीजें और अधिक समझ में आएंगी. अब तक, हमारे लिए इन ऐप्स का पूरा परिप्रेक्ष्य बहुत स्पष्ट नहीं है. हम स्वास्थ्य अनुसंधान में आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस के उपयोग के लिए पहले से ही नैतिक दिशानिर्देश तैयार कर रहे हैं.’
अधिकारी ने ChatGPT पर चर्चा के लिए ICMR की निर्णय लेने वाली समिति के सदस्यों की बैठक का भी संकेत दिया. अधिकारी ने कहा, ‘हमने वेट एंड वॉच की नीति अपनाई है, क्योंकि हम प्लेगियरिज्म (वैज्ञानिक लेखन और अध्ययन संबंधित साहित्यिक चोरी) के अलावा इसके निहितार्थ को समझना चाहते थे.’ ChatGPT, जिसे पिछले साल नवंबर में लॉन्च किया गया था, ने जनरेटिव आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस नामक तकनीक के साथ लोगों के बीच व्यापक रुचि जगाई है. इसका उपयोग मानव वार्तालापों की नकल करके पूछे गए प्रश्नों का उत्तर देने के लिए किया जाता है. माइक्रोसॉफ्ट-समर्थित OpenAI द्वारा निर्मित, ChatGPT को डेटा की बड़ी मात्रा के साथ ट्रेंड किया गया है, जो इसे सवालों का जवाब देने और कई अन्य कार्यों को पूरा करने के साथ-साथ किसी विषय पर आर्टिकल लिखने, कविता, कहानी और अनुवाद करने में सक्षम बनाता है
टेस्टिंग से पता चलता है कि CHATGPT अच्छा प्रदर्शन कर रहा, गलतियां सुधार रहा
इसके तत्काल प्रभाव को समझने के लिए आईसीएमआर के अधिकारियों की टीम ने चैटजीपीटी पर एक छोटा परीक्षण किया है. अधिकारी ने कहा, ‘हमने कुछ परीक्षण किए हैं और पाया है कि यह उत्कृष्ट सामग्री लिख रहा है (शोध पत्र लिखने के संदर्भ में). हालांकि, सब कुछ पूरी तरह सही नहीं है. इसका एल्गोरिद्म हमसे गलत जानकारी को सुधारने के लिए भी कहता है. यह सब इसके डेटाबेस में जा रहा है. इसका मतलब है कि चैटजीपीटी का प्रोग्राम सही जानकारी इकट्ठा कर रहा है और एक दिन वह सटीक नतीजे भी देना शुरू कर देगा.’
अधिकारी ने आगे कहा कि ये उपकरण लोगों की महत्वपूर्ण तरीके से मदद कर सकते हैं, लेकिन अधिक सचेत और सतर्क रहने की जरूरत है. इस तकनीक से मेडिकल रिसर्च और डॉक्यूमेंटेशन की प्रक्रियाओं पर तुरंत प्रभाव पड़ने की उम्मीद है. इस तकनीक के हेल्थकेयर प्रोफेशनल्स को क्लीनिकल नोट्स लिखने, रियल टाइम सेजेशन देने और गलतियों को सुधारने में मदद करने की संभावना है. इसके अलावा क्लीनिक्स में वर्चुअल असिस्टेंट की भूमिका निभाने, क्लीनिकल परीक्षणों में सहयोग करना इत्यादि भी इस तकनीक से संभव है. ICMR का मानना है कि वर्तमान में, इसे केवल ‘कम जोखिम’ वाले कार्यों में तैनात किया जाना चाहिए.