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वंदे भारत के आगे क्यों है नाक जैसी शेप, टक्कर से रुक जाती है ट्रेन, क्या है इसके पीछे का लॉजिक

वंदे भारत एक्सप्रेस ट्रेन (Vande Bharat Trains) को बनाने में कई हाईटेक टेक्नोलॉजी का उपयोग किया गया है. रेलवे ने इस ट्रेन को बनाने में एक ऐसी तकनीक का इस्तेमाल किया है कि अगर ट्रेन गलती से किसी चीज से टकरा जाए तो रुक जाती है. हालांकि की इसके आगे का हिस्सा थोड़ा क्षतिग्रस्त हो जाता है. लेकिन इस हिस्से को रेलवे जानकार ही इस तरह से डिजाइन किया है. अब आप सोच रहे होंगे किआखिर वंदे भारत ट्रेन का अगला हिस्सा इतना कमजोर क्यों है? रेलवे ने इस बारे में खुद बताया है कि इस सेमी हाईस्‍पीड ट्रेन के अगले हिस्से को पुरानी ट्रेनों के मुकाबले कुछ कमजोर क्यों बनाया गया है.

दैनिक भास्कार को दिए एक इंटरव्यू में ट्रेन के क्रिएटर सुधांशु मणि बताया कि ये इसके डिजाइन में किसी तरह की चूक नहीं, बल्कि इसे पूरी प्लानिंग के साथ इस तरह बनाया गया है.

आखिर क्या है माजरा?
वंदे भारत प्रोजेक्ट से जुड़े रेलवे अधिकारी के अनुसार, इसके अगले हिस्से, जिसे नोज कोन (Nose Cone) कहते हैं को टक्कर होने पर टूटने के लिए ही बनाया गया है. अब सोच रहे होंगे कि आखिर टूटने के लिए कोई चीज क्यों बनाई जाएगी. रेलवे ने बताया कि उन्हें पहले से पता है कि इस तरह के हादसे हो सकते हैं. इसीलिए जहां भी वंदे भारत की रैक भेजी जाती है, वहां नोज कोन के अतिरिक्त सेट भी पहले से ही भेजे जाते हैं. ताकि दुर्घटना के बाद इन्हें स्थानीय डिपो में बदला जा सके.

क्या है नोज कोन के टूटने का मकसल
रेलवे अधिकारी के अनुसार नोज कोन को टूटने के लिए डिजाइन करने के पीछे का मकसद है कि इससे दुर्घटना के असर को कम किया जा सके. ताकि ट्रेन और जिससे वो टकराए, दोनों को कम से कम नुकसान हो. इससे गाड़ी का इंजन, चेचिस (बेसिक ढांचा) और यात्रियों को नुकसान की आशंका बहुत कम हो जाती है. साथ ही क्षतिग्रस्त नोज कोन को मौके पर ही आसानी से हटाकर जल्द से जल्द आगे का सफर शुरू किया जा सकता है. जबकि नॉर्मल ट्रेनों के आगे लोहे का एक काऊ कैचर लगा होता है, जो पटरी पर आए जानवर या इंसान को फोर्स से कुचल देता है. इससे कई बार ट्रेन के अंदर बैठे यात्रियों को खतरा हो सकता है.