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क्‍या है अर्ली वार्निंग सिस्‍टम, जिसकी मदद से भूकंप में बच सकती हैं हजारों जिंदगियां, कैसे करता है काम

दिल्‍ली एनसीआर में मंगलवार की रात और बुधवार को दोपहर बाद भूकंप के झटके महसूस किए गए. मंगलवार रात आए भूकंप के झटके इतने तेज थे कि दहशत से लोग अपने घरों और फ्लैटों को छोड़कर खुले मैदानों व सुरक्षित स्‍थानों पर इकट्ठे हो गए. रिक्‍टर स्‍केल पर भूकंप की तीव्रता 6.6 मापी गई थी. भूकंप का केंद्र अफगानिस्‍तान में 156 किमी जमीन के अंदर था. इसके बावजूद उत्‍तर भारत में जमीन डोल गई थी. इसके बाद बुधवार को दोपहर बाद दिल्‍ली-एनसीआर में भूकंप के हल्‍के झटके महसूस किए गए. बता दें कि दिल्‍ली-एनसीआर सिस्मिक ज़ोन 4 में आता है. इसका मतलब है कि यहां भूकंप का खतरा काफी ज्‍यादा है. ऐसे में यहां रहने वाले लोगों को हर समय सचेत रहने की जरूरत है.

अक्‍सर आपके मन में भी ये सवाल आता होगा कि जैसे मौसम विभाग पहले ही तूफान की चेतावनी जारी कर मछुआरों को समुद्र में जाने से रोक देता है. क्‍या वैसे ही कोई ऐसा सिस्‍टम नहीं है, जो पहले ही भूकंप की चेतावनी जारी कर दे और लोग सुरक्षित जगहों पर पहुंच जाएं. अगर ऐसा हो पाए तो हजारों लोगों की जिंदगियां बचाई जा सकती हैं.

उत्‍तर भारत में भूकंपों की क्‍या है वजह?
वैज्ञानिकों के मुताबिक, पूरा उत्‍तर भारत भूकंप के लिहाज से जोखिम क्षेत्र में ही आता है. हालांकि, इस क्षेत्र में आने वाले भूकंपों की तीव्रता रिक्‍टर स्‍केल पर कम ही रहती है. वैज्ञानिकों का कहना है कि सबसे नए और कच्‍चे पहाड़ हिमालय में हजारों फॉल्‍ट लाइन बनने के कारण मामूली हलचल भी पूरे उत्‍तर भारत को हिला देती है. आशंका जताई जा रही है कि आने वाले समय में उत्‍तर भारत में आने वाले भूकंपों की तीव्रता 6 से भी ज्‍यादा हो सकती है. वैज्ञानिकों के मुताबिक, टेक्‍टोनिक प्‍लेट्स में हलचल के कारण इस क्षेत्र में भूकंप आते हैं.