छत्तीसगढ़

मोहम्मद रफी और छत्तीसगढ़ी फ़िल्में

रायपुर .मोहम्मद रफ़ी ने छत्तीसगढ़ी फिल्मों में भी गाना गाया था .24 दिसंबर, 1924 को अमृतसर में जन्मे रफी साहब का छत्तीसगढ़ से भी विशेष लगाव रहा है। मोहम्मद रफी ने छत्तीसगढ़ी फिल्मों में भी गाने गाए। उन्होंने पहली बार मनु नायक द्वारा निर्मित और निर्देशित छत्तीसगढ़ी फिल्म ‘कहि देबे संदेस’ में स्वर्गीय डॉ. हनुमंत नायडू राजदीप के गीतों को अपनी आवाज दी।नवंबर 1964 में फिल्म की शूटिंग छत्तीसगढ़ के रायपुर जिला स्थित पलारी ग्राम में हुई।16 अप्रैल 1965 को रायपुर, भाटापारा, बिलासपुर में जब फिल्म का प्रदर्शन किया गया तब इस फिल्म ने इतिहास बना दिया। इस गाने के एक-एक लफ्ज लोगों की जुबां पर छा गए थे। दूसरी बार उन्होंने वर्ष 1970 के दशक में बनी दूसरी छत्तीसगढ़ी फिल्म ‘घर-द्वार’ में हरि ठाकुर के गीतों को  अपना स्वर दिया। दोनों ही बार रफी साहब को यहां के लोगों ने बहुत प्यार दिया।‘घर द्वार’ के गीत ‘सुन-सुन मोर मया पीरा के संगवारी रे…’, ‘गोंदा फुलगे मोर राजा…’ एवं ‘झन मारो गुलेल…’ आज भी लोगों की जुबान पर चढ़े हुए हैं। छत्तीसगढ़ के लोगों ने आज भी रफी साहब की यादों को सहेज कर रखा हैं। यहीं वजह है कि यहां के लोग रफी साहब को विशेष रुप से याद कर रहे हैं।