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विश्व बैंक और IMF में क्या है अंतर, कितने ब्याज पर मिलता है यहां से लोन, किसी देश ने किया डिफॉल्ट तो क्या होगा?

 विश्व बैंक और आईएमएफ में मुख्य अंतर उनके उनके उद्देश्य और कार्य में होता है. आईएमएफ का मुख्य काम दुनिया में आर्थिक स्थिरता को बनाए रखना है. वहीं, विश्व बैंक मध्य व कम आय वाले देशों में गरीबी मिटाने के लिए सहायता प्रदान करता है. इन दोनों की स्थापना ब्रेटन वुड्स एग्रीमेंट के तहत 1945 में हुई थी. इन दोनों का मुख्यालय यूएस के वॉशिंगटन डीसी में है. आईएमएफ आर्थिक गतिविधियों पर नजर रखता है. इसके अलावा सदस्यों को पॉलिसीमेकिंग में मदद करने के साथ-साथ लोन भी देता है.वर्ल्ड बैंक किसी देश को वृहद आर्थिक बदलाव के लिए लोन नहीं देता. इसका काम किसी खास प्रोजेक्ट के लिए पैसे देना है. जैसे अस्पताल बनाना या फिर पीने योग्य साफ पानी मुहैया कराने के लिए प्रणाली तैयार करना आदि.

कितने ब्याज पर देते हैं लोन
यह दोनों ही संस्थाएं भले ही अलग-अलग तरह के लोन देती हों लेकिन लोन देना इनके प्रमुख कार्यों में से है. जाहिर है कि लोन देने के लिए एक तय ब्याज भी लगाया जाता होगा. आईएमएफ कई बार बहुत कमजोर आर्थिक स्थिति वाले देशों को न के बराबर ब्याज पर लोन देता है. हालांकि, ऐसा कम ही होता है. आईएमएफ और वर्ल्ड बैंक दोनों के पास लोन देने के लिए अपनी-अपनी ब्याज दरे हैं.

आईएमफ अपने लोन पर कई तरह के चार्ज लगाते हैं. पहला है बेसिक चार्ज जो न्यूनतम 5 बेसिस पॉइंट है. गौरतलब है कि 100 बेसिस पॉइंट का मतलब 1 परसेंट होता है. इसके बाद आईएमएफ बोर्ड द्वारा निर्धारित मार्जिन होता है. यह अभी 100 बेसिस पॉइंट है. इसके अलावा 2 तरह के सरचार्ज होते हैं. लेवल बेस्ड सरचार्ज, यह 200 बेसिस पॉइंट है. टाइम बेस्ड सरचार्ज 100 बेसिस पॉइंट देता है. इसके अलावा कमिटमेंट फी भी होती है. आईएमएफ की ब्याज दर अभी 4.075 फीसदी से लेकर 5.075 फीसदी है.वर्ल्ड बैंक अलग-अलग मैच्योरिटी के लिए अलग-अलग ब्याज दर लगाता है. इन वर्गीकृत ब्याज दरों को आप नीचे तस्वीर में देख सकते हैं.

डिफॉल्ट करने पर क्या होगा?
ऐसे मामलों में कई बार आईएमएफ किसी बेहद गरीब देश के लिए पूरी तरह से लोन माफ कर देता है. वर्ल्ड बैंक भी ऐसा कर सकता है. लेकिन हमेशा ऐसा नहीं होता. किसी देश का लोन पर डिफॉल्ट करना एक बहुत बड़ा आर्थिक संकट होता है. अगर कोई देश सॉवरेन लोन नहीं दे पा रहा तो इसका मतलब है कि वह देश पहले ही आर्थिक रूप से घुटनों पर आ चुका है. वह लोन नहीं चुकाता तो देश को नया लोन नहीं मिलता. देश में निवेश बंद हो जाता है. वहां के शेयर मार्केट से लोग बाहर निकलना शुरू कर देते हैं. करेंसी तेजी से नीचे गिरने लगती है. खाने-पीने की जरूरी चीजों की कीमतों में विस्फोट होता है और वहां दंगे और अशांति शुरू हो सकती है. जांबिया, घाना, लेबनान, श्रीलंका, इथीयोपिया और चीन जैसे कई उदाहरण हैं जिन्होंने लोन पर डिफॉल्ट किया है. 1876 में ऑटोमन साम्राज्य ने भी लोन पर डिफॉल्ट किया था.