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MD नहीं नटवरलाल कहिये… बेल बढ़ाने के लिए चाहिए थी मेडिकल रिपोर्ट, Lava के एमडी ने लगाया ऐसा जुगाड़, ED वाले भी हैरान

आपने जालसाजी के कई कारनामे सुने हैं, लेकिन मोबाइल बनाने वाली लावा कंपनी के एक टॉप अधिकारी की कारिस्तानी ने ईडी के अधिकारियों तक को हैरान कर दिया. दरअसल लावा इंटरनेशनल मोबाइल कंपनी के मैनेजिंग डायरेक्टर हरिओम राय जमानत पर बाहर थे. उन्हें अपनी बेल बढ़वाने की हार्ट टेस्ट करवाना था. ईडी के अफसर एम्स में हार्ट स्पेशलिस्ट के रूम के बाहर राय का इंतजार कर रहे थे, लेकिन 4 घंटे के बाद भी वह आते नहीं दिखे तो इन अफसरों ने सोचा कि अंदर जाकर बता दें कि जांच के लिए आज राय नहीं आ पाएंगे. हालांकि जब वे अंदर गए तो हैरान रह गए. उन्हें बताया कि गया हरिओम राय अंदर ही अपनी जांच करवा रहे हैं.

ईडी के अफसरों को यह सुनकर हैरानी कि वे सब इतनी देर से बाहर ही बैठे थे तो आखिर राय अंदर कब और कैसे चले गए. खैर वे सब जांच वाले कमरे में पहुंचे तो देखा कि डॉक्टर एक शख्स की जांच कर रहे हैं और उसने अपना नाम हरिओम राय ही दर्ज दराया कराया है. हालांकि ईडी के अफसरों के देखते ही उसका सारा भेद खुल गया.

कैसे ढूंढा बहरूपिया
अंग्रेजी अखबार इंडियन एक्सप्रेस ने ईडी अधिकारियों के हवाले से बताया कि दिल्ली हाईकोर्ट से मेडिकल ग्राउंड पर बेल बढ़वाने के लिए राय ने 50 साल के बहुरूपिये को एम्स में अपने नाम पर जांच कराने के लिए भेज दिया था. उस शख्स का असली नाम नवल किशोर राम था. वह खुद पेशे से डॉक्टर है और वसंत कुंज में उसकी क्लीनिक है.

आरोपी नवल ने पुलिस को पूछताछ में बताया कि उनकी बेटी भी साउथ दिल्ली में एक डॉक्टर के साथ काम करती है. उसका एक डॉक्टर दोस्त भी वसंत कुंज में रहता है और वह दिल की परेशानियों से जूझ रहे मरीज की तलाश कर रहा था. ईडी के अधिकारी ने बताया, ‘नवल को मुफ्त इलाज कराने का लालच दिया गया था. उन्होंने सबसे पहले उसे कई तरह के टेस्ट कराने के लिए 5 मार्च को हौज़ खास के एक क्लिनिक में भेजा. वहीं उनकी सभी रिपोर्ट्स में नवल किशोर की जगह हरिओम राय का नाम लिखा गया था.’

ईडी के अधिकारियों ने चौपट कर दिया प्लान
उन्होंने बताया, ‘इसके बाद वसंत कुंज वाले डॉक्टर ने नवल को हाईकोर्ट के ऑर्डर की एक कॉपी के साथ गुरुवार को एम्स जाने के लिए कहा. वह एम्स के बाहर ही उस डॉक्टर का एक साथी उन्हें मिला और टेस्ट के लिए हार्ट एक्सपर्ट के ऑफिस में ले गया.’ नवल वहां अंदर जाकर हरिओम राय के नाम पर जांच करवा रहे थे और उनकी पूरी साजिश कामयाब भी हो जाती, लेकिन ईडी के अधिकारियों के वहां पहुंचने से सारी प्लानिंग चौपट हो गई.