देश

अब पुत‍िन से नहीं मांगना पड़ेगा S-400 मिसाइल डिफेंस सिस्टम, भारत ने कर ली इजरायल जैसी तैयारी, चीन-पाक भरेंगे पानी

रक्षा अनुसंधान एवं विकास संगठन (डीआरडीओ) ने बुधवार, 24 जुलाई को चरण-II बैलिस्टिक मिसाइल डिफेंस (बीएमडी) सिस्टम में इतिहास रच दिया है. बीएमडी को ओडिशा के चांदीपुर के एलसी-IV धामरा से 1620 बजे लॉन्च किया गया. डीआरडीओ ने बताया कि यह बैलेस्टिक मिसाइल दुश्मन की 5000 किलोमीटर रेंज वाली मिसाइलों से निपटने में सक्षम है, साथ ही यह 35 किलोमीटर की ऊंचाई की रेंज में दुश्मनों की नापाक साजिश का नाकामयाब कर सकती है. इसे आकाश मिसाइल नाम दिया गया है. साथ ही भारत को रूस के एस400 (S400) एयर डिफेंस सिस्टम की जरूरत नहीं रहेगी. वहीं, चीन से लेकर पाकिस्तान के अंदरूनी हिस्सों से भारत की और आने वाली मिसाइलों को एक ही झटके में तबाह कर सकता है.

डीआरडीओ के एक अधिकारी ने बताया कि मिसाइल ने हवा में डमी के तौर पर तैनात दुश्मन के मिसाइल को भी काफी सटीकता से टारगेट किया. वहीं, रक्षा मंत्रालय की ओर से जारी बयान में बताया गया कि परीक्षण के दौरान सभी उद्देश्यों को सफलता पूर्वक पूरा कर लिया. डीआरडीओ ने बताया कि यह मिसाइल का जमीन और समुद्र पर तैनात हथियार प्रणाली रडार द्वारा पता लगाया गया और इसने एडी (एडवांस्ड एरिया डिफेंस) इंटरसेप्टर सिस्टम को भी एक्टिवेट कर दिया.

कब शुरू हुआ बीएमडी प्रोग्राम?
भारत में पहली बार बीएमडी सीस्टम कारगील वॉर (1999) के बाद 2000 में शुरू किया गया था. इसका मुख्य उद्देश्य चीन और पाकिस्तान से आने वाले मिसाइल थ्रेट को कम करना है. इसमें दो प्रकार के इंटरसेप्टर मिसाइल हैं, ज्यादा ऊंचाई वाले मिसाइल खतरे के लिए पृथ्वी एयर डिफेंस मिसाइल, तो कम ऊंचाई के लिए एडवांस्ड एयर डिफेंस सिस्टम है. इसी क्रम में भारत ने बुधवार को बैलिस्टिक मिसाइल डिफेंस के सेकेंड फेज का सफल परीक्षण किया. जो 100 किमी से भी कम उंचाई पर मिसाइल अटैक के थ्रेट को खत्म करते हैं.

रक्षा मंत्री ने दी बधाई
रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह ने डीआरडीओ की सफलता पर बधाई दी. उन्होंने कहा कि इस परीक्षण ने एक बार फिर भारत की बैलिस्टिक मिसाइल रक्षा क्षमता का प्रदर्शन किया है. वहीं, रक्षा मंत्रालय ऑफिस ने ट्वीट कर कहा, ‘डीआरडीओ ने 24 जुलाई को बैलिस्टिक मिसाइल डिफेंस सिस्टम के दूसरे फेज का सफलतापूर्वक उड़ान टेस्ट किया गया. इसमें एडवांस्ड एरिया डिफेंस, जो कि यह वायुमंडल के भीतर (Endo- Atmospheric) 20-40 किलोमीटर की ऊंचाई के लिए इंटरसेप्टर मिसाइल है, को शाम चार बजकर 24 मिनट पर चांदीपुर स्थित आईटीआर के एलसी-3 से दागा गया.’

दुश्मनों के अटैक को खात्मा करना है काम
विज्ञप्ति के मुताबिक, लक्षित मिसाइल को अपराह्न 4 बजकर 24 मिनट पर एक दुश्मन बैलिस्टिक मिसाइल के प्रारूप के तौर पर प्रक्षेपित किया गया, जिसका भूमि और समुद्र पर तैनात हथियार प्रणाली रडारों द्वारा पता लगा लिया गया और ‘इंटरसेप्टर’ प्रणाली को सक्रिय कर दिया गया. विज्ञप्ति के मुताबिक, दूसरे चरण की एंडी एंडो-वायुमंडलीय मिसाइल स्वदेशी रूप से विकसित दो चरणीय ठोस ईंधन वाले एवं जमीन से दागी जाने वाली मिसाइल प्रणाली है. इसका उद्देश्य कम ऊंचाई वाले क्षेत्रों में दुश्मन के कई प्रकार के बैलिस्टिक मिसाइल खतरों का खात्मा करना है.

100 किमी से कम ऊंचाई पर भरती है उड़ान
विशेषज्ञों ने बताया कि बाहरी वातावरण में मिसाइल पृथ्वी के वायुमंडल के सबसे ऊपरी क्षेत्र में मिशन पूरा करने में सक्षम हैं जबकि अंत: वायुमंडलीय मिसाइल वे हैं जो पृथ्वी के वायुमंडल के भीतर संचालित होती हैं और 100 किलोमीटर से कम ऊंचाई तक के लक्ष्यों को भेदती हैं. रक्षा मंत्रालय ने कहा कि उड़ान परीक्षण ने सभी परीक्षण उद्देश्यों को पूरा किया, जिससे लंबी दूरी के सेंसर, कम विलंबता संचार प्रणाली और उन्नत इंटरसेप्टर मिसाइलों से युक्त एक पूर्ण नेटवर्क केंद्रित युद्ध अस्त्र प्रणाली की पुष्टि हुई.