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क्वालिटी और सेफ्टी स्टैंडर्ड पर फेल हो रहे भारतीय मसाले फूड सेफ्टी एंड स्टैंडर्ड्स अथॉरिटी ऑफ इंडिया की जांच में 474 सैंपल फंसे

भारत की मसाला कंपनियां पिछले कुछ समय से पूरी दुनिया में संकट का सामना कर रही हैं. एक के बाद एक सभी मसाला कंपनियों के प्रोडक्ट्स को कड़ी जांच से गुजरना पड़ रहा है. यह मामला हॉन्गकॉन्ग से शुरू हुआ था. अब दुनिया के कई देशों में भारतीय मसाला कंपनियों के खिलाफ जांच चल रही है. अब एक रिपोर्ट में दावा किया गया है कि भारतीय मसालों के लगभग 12 फीसदी सैंपल फूड सेफ्टी एंड स्टैंडर्ड्स अथॉरिटी ऑफ इंडिया की जांच में फेल हुए हैं. ये क्वालिटी और सेफ्टी स्टैंडर्ड्स पर खरे नहीं उतरे हैं.

हॉन्गकॉन्ग में बैन लगने के बाद FSSAI ने शुरू की थी जांच 

भारतीय मसाला उद्योग (Indian Spice Industry) के लिए यह बड़ी समस्या बनता जा रहा है. ब्रिटेन के बाद अब न्यूजीलैंड, अमेरिका और ऑस्ट्रेलिया में भी भारत के बड़े मसाला ब्रांड कड़ी जांच से गुजर रहे हैं. रायटर्स की एक रिपोर्ट के अनुसार, ब्रिटेन में भारतीय मसालों के इंपोर्ट पर कड़ी नजर रखी जा रही है. हॉन्गकॉन्ग में भारत के दो दिग्गज मसाला ब्रांड के खिलाफ लगे बैन के बाद फूड सेफ्टी एंड स्टैंडर्ड्स अथॉरिटी ऑफ इंडिया ने भी भारतीय मसालों के खिलाफ जांच शुरू की थी. इन दोनों कंपनियों ने आश्वासन दिया था कि उनके मसाले पूरी तरह सुरक्षित हैं. इन दोनों कंपनियों के मसाले भारत के अलावा यूरोप, अमेरिका और नॉर्थ अमेरिका में बड़े पैमाने पर इस्तेमाल किए जाते हैं.

4,054 सैंपल टेस्ट किए गए, 474 हुए फेल 

आरटीआई (RTI) से हासिल जानकारी के आधार पर इस रिपोर्ट में कहा गया है कि मई से जुलाई के बीच 4,054 सैंपल टेस्ट किए गए थे. इनमें से 474 क्वालिटी और सेफ्टी स्टैंडर्ड को पास नहीं कर पाए हैं. हालांकि, FSSAI ने यह बताने से इंकार कर दिया है कि टेस्ट में फेल होने वाले प्रोडक्ट किन कंपनियों के थे. मगर, उन्होंने भरोसा दिलाया है कि इन कंपनियों के खिलाफ जल्द से जल्द कार्रवाई की जाएगी.

कंपनियों के बारे में फूड सेफ्टी एंड स्टैंडर्ड्स अथॉरिटी ऑफ इंडिया ने नहीं दी जानकारी 

रायटर्स ने FSSAI से कंपनियों की जानकारी भी मांगी थी. मगर, एजेंसी ने कहा कि ऐसी जानकारी उनके पास नहीं है. भारतीय कानूनों का आधार पर इन सभी पर एक्शन लिया जाएगा. भारत का मसाला उद्योग साल 2022 तक लगभग 10.44 अरब डॉलर का था. साथ ही भारत से लगभग 4.46 डॉलर के मसालों का एक्सपोर्ट भी किया जा रहा था.