चीन-अमेरिका की दुश्मनी जगजाहिर है, लेकिन अब ताइवान को लेकर दोनों मुल्क आमने सामने आ गए हैं. क्योंकि अमेरिकी राष्ट्रपति जो बाइडन ने चीन के दुश्मन मुल्क ताइवान के लिए 567 मिलियन डॉलर की रक्षा सहायता को मंजूरी दे दी है. व्हाइट हाउस ने कहा, ताइवान को बचाने के लिए यह जरूरी था. यह पैकेज पिछले साल दिए गए 345 मिलियन डॉलर से लगभग दोगुना है. अमेरिका के इस ऐलान से चीन भड़क उठा है. उसने अमेरिका को अंजाम भुगतने की चेतावनी दी है.
चीन ताइवान को कब्जे में लेने के लिए बार-बार कोशिश करता रहता है. कई बार उसके लड़ाकू विमान ताइवान के आसमान में घूमते देखे जाते हैं. उधर, अमेरिका ताइवान को एक स्वतंत्र मुल्क मानता है. हालांकि, वह भी आधिकारिक तौर पर उसे मान्यता नहीं देता. लेकिन बार-बार मदद के नाम पर उसे तमाम तरह के हथियार मुहैया कराता है. चीन इसे लेकर बार-बार अमेरिका को धमकाता रहता है, लेकिन वाशिंगटन पर कोई फर्क नहीं पड़ता.
अब तक का सबसे बड़ा पैकेज
व्हाइट हाउस ने कहा, राष्ट्रपति जो बाइडन ने विदेश मंत्री को ताइवान को ज्यादा मदद देने का काम सौंपा है. उन्हें यह तय करने को कहा गया है कि ताइवान की जरूरतों के मुताबिक हम उसे क्या-क्या मुहैया करा सकते हैं. हम उन्हें कौन-कौन से हथियार, मिलिट्री ट्रेनिंग दे सकते हैं. इस पैकेज का पूरा ब्योरा तो नहीं दिया गया है, लेकिन इसे अब तक का सबसे बड़ा पैकेज बताया जा रहा है. इसी साल अप्रैल में अमेरिका ने ताइवान के लिए अरबों डॉलर की सैन्य सहायता को मंजूरी दी थी. चीन इसे अपने मामले में हस्तक्षेप बताता है. चीन के लड़ाकू विमान, ड्रोन और युद्धपोत लगभग रोज ताइवान के आसपास मंडराते रहते हैं.
‘ताइवान पर कब्जा करके रहेंगे’
अमेरिका के नए पैकेज पर भी चीन की प्रतिक्रिया आई है. बीजिंग ने कहा कि वह ताइवान को अपने नियंत्रण में लाने के लिए बल प्रयोग से कभी पीछे नहीं हटेगा. साथ ही उसने अमेरिका को भी धमकी दी है. चीन के विदेश मंत्रालय के प्रवक्ता लिन जियान ने कहा, अमेरिका ताइवान को हथियार देना बंद करे. वरना इसके गंभीर नतीजे भुगतने पड़ेंगे. हम ताइवान की आजादी कभी स्वीकार नहीं कर सकते. अगर अमेरिका इस तरह उनकी मदद करेगा तो इसके गंभीर परिणाम होंगे.
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