
नई दिल्ली :- केंद्रीय मंत्रिमंडल ने वक्फ (संशोधन) विधेयक, 2024 में प्रस्तावित 14 संशोधनों को मंजूरी दे दी है। यह विधेयक संसद की संयुक्त समिति (JCP) द्वारा तैयार किया गया था और 10 मार्च से शुरू होने वाले बजट सत्र के दूसरे चरण में इसे संसद में पेश किए जाने की उम्मीद है। सूत्रों के मुताबिक, 27 जनवरी को JCP द्वारा स्वीकृत 14 संशोधन राष्ट्रीय जनतांत्रिक गठबंधन (NDA) के सदस्यों द्वारा प्रस्तावित किए गए थे। वहीं, विपक्षी दलों द्वारा सुझाए गए 44 संशोधनों को मतदान के बाद खारिज कर दिया गया था, क्योंकि ये संशोधन वक्फ अधिनियम 2013 में किए जा रहे बदलावों के खिलाफ थे। संशोधित विधेयक में वक्फ संपत्तियों को ऑनलाइन पंजीकरण के लिए छह महीने की छूट, जिला कलेक्टर के स्थान पर राज्य सरकार के अधिकारी की नियुक्ति, और वक्फ न्यायाधिकरण में मुस्लिम कानून व न्यायशास्त्र के जानकार एक सदस्य की अनिवार्यता जैसे प्रावधान शामिल हैं।
विधेयक पारित कराने में सहयोगी दलों की अहम भूमिका :- लोकसभा में भारतीय जनता पार्टी (BJP) के पास पूर्ण बहुमत नहीं है, इसलिए तेलुगु देशम पार्टी (TDP), जनता दल (यूनाइटेड) [JDU] और लोक जनशक्ति पार्टी (रामविलास) [LJP (RV)] के सदस्यों के समर्थन को अहम माना जा रहा है। TDP के 16, JDU के 12 और LJP (RV) के 5 सांसदों के समर्थन के बिना विधेयक का पारित होना मुश्किल हो सकता है। इसके अलावा, NDA के अन्य सहयोगी दल जैसे राष्ट्रीय लोक दल (RLD), जनता दल सेक्युलर (JDS) और अपना दल (S) भी मतदान के दौरान निर्णायक भूमिका निभा सकते हैं।
JCP की कार्यवाही पर विवाद :- JCP की कार्यवाही के दौरान सत्ता पक्ष और विपक्ष के बीच कई बार मतभेद सामने आए। विपक्षी दलों ने आरोप लगाया कि उनके सांसदों के असहमति नोट्स के कुछ हिस्सों को बिना अनुमति के संपादित किया गया। हालांकि, 13 फरवरी को सरकार ने रिपोर्ट के परिशिष्ट V में सुधार कर संपादित किए गए हिस्सों को बहाल करने की सहमति दी थी।
सरकार को भरोसा है कि संशोधनों के बाद विधेयक को समर्थन मिल जाएगा और संसद में इसे पास करा लिया जाएगा। हालांकि, विपक्ष ने अब भी विधेयक की कुछ धाराओं पर आपत्ति जताई है। अब सभी की निगाहें 10 मार्च से शुरू होने वाले बजट सत्र के दूसरे चरण पर टिकी हैं, जहां इस विधेयक को पेश किया जाएगा।