
वेब-डेस्क :- 70 के दशक में अपनी कलम से कई मधुर गीत लिखने वाले गीतकार संतोष आनंद का आज 96वां जन्मदिन है। भले ही वह आज संगीत की दुनिया में गुमनाम हो गए हों, लेकिन वह आज भी किसी परिचय के मोहताज नहीं हैं। हालांकि, गीतकार को इस बदलते जमाने से यह शिकायत जरूर रही कि उन्हें वक्त के साथ वह तवज्जो नहीं मिली, जिसकी उन्हें चाहत थी। आज भी लोग 70 के दशक के उन सदाबहार नगमों को गुनगुनाते हैं, जिनकी रचना संतोष आनंद ने की है।
मनोज कुमार ने दिया ब्रेक
संतोष आनंद हिंदी सिनेमा के मशहूर गीतकार हैं। उनका जन्म 5 मार्च 1940 को सिकंदराबाद में हुआ था। उनका जन्म एक मध्यम वर्गीय परिवार में हुआ था। संतोष आनंद जी का पूरा नाम संतोष कुमार मिश्र है। शिक्षा दीक्षा पूरी करने के बाद वे मुंबई आ गए। यहीं से उनका गीतकार बनने का उनका संघर्ष शुरू हुआ। काफी मुसीबतों के बाद उन्होंने कदम जमाए और थोड़ा बहुत काम मिलना शुरू हुआ। संतोष आनंद ने एक बार अपने करियर के बारे में बात करते हुए यह बताया था कि वे मनोज कुमार के बड़े आभारी हैं। सबसे पहले उन्होंने ही उनकी कला को परखा और समझा। उन्होंने ही सबसे पहले ब्रेक भी दिया।
राज कपूर के साथ भी किया काम
1970 में आई फिल्म ‘पूरब और पश्चिम’ में उनकी कलम को जीवन मिला और ‘पूरबा सुहानी आई रे’ गाने ने कलम को रवानगी दी। इसके बाद तो मानों मनोज उनके कायल हो गए। उन्होंने ज्यादातर फिल्मों में संतोष आनंद से गाने लिखवाए। खुद एक अच्छे गीतकार और लेखक होने की वजह से वे संतोष आनंद की कला को तवज्जो देते रहे। इसके लिए संतोष आनंद को काफी खुशी भी थी। संतोष जैसे हीरे की पहचान करने के लिए राज कपूर भी जौहरी के रूप में सामने आए। राज कपूर ने भी संतोष आनंद से कई गीत लिखवाए जो बाद में सुपरहिट साबित हुए। इनमें ‘प्रेमरोगी’ जैसे गाने शामिल हैं।
दर्द भरी रही निजी जिंदगी
संतोष आनंद ने कई गीत तो लिखे, जो लोगों को पसंद भी आए, लेकिन उन्हें कभी अपने नाम की तरह सुख नहीं मिला। उनकी जिंदगी में न तो संतोष का सुख और ना ही आनंद मिला। उनका निजी जीवन बहुत कष्ट में गुजरा। जवानी में ही एक दुर्घटना के कारण उन्होंने अपने पैर खो दिए थे और विकलांग हो गए थे। उनकी निजी जिंदगी उथल पुथल से भरी रही। उनके दो बच्चे थे। बेटे का नाम संकल्प आनंद और एक बेटी शैलजा आनंद। बहू का नाम नंदनी था।
बेटे की मौत के बाद टूट गए संतोष
संतोष को शादी के 10 साल बाद बड़ी मन्नतों के बाद बेटे संकल्प का सुख मिला। पढ़ाई पूरी करने के बाद संकल्प गृह मंत्रालय विभाग में कार्यरत थे। रिपोर्ट्स के अनुसार, संकल्प ने पिता संतोष को बिना बताए नंदनी से शादी कर ली थी, जिससे संतोष को सदमा लगा, लेकिन उससे भी बड़ा सदमा संतोष को तब लगा, जब अक्तूबर 2014 को संतोष को पता चला कि उनके बेटे संकल्प ने अपनी पत्नी नंदनी के साथ खुदकुशी कर ली है। इसके बाद संतोष बुरी तरह टूट गए।
तंगहाली में जी रहे संतोष आनंद
इस तरह संतोष आनंद का पूरा जीवन उतार चढ़ाव से ही भरा रहा। हाल में उन्हें एक सिंगिग शो में देखा गया था, जहां उनकी तंगहाली के बारे में सभी को पता चला। संतोष आनंद को कई पुरस्कार भी मिल चुके हैं। 1974 में आई फिल्म रोटी कपड़ा और मकान का गीत ‘मैं ना भूलूंगा’ के लिए उन्हें फिल्मफेयर पुरस्कार मिला था। 1983 में आई फिल्म प्रेम रोग के गीत ‘मुहब्बत है क्या चीज’ के लिए भी फिल्मफेयर अवार्ड मिला था। वहीं 2016 में उन्हें यश भारती सम्मान से नवाजा गया।