बढ़ती महंगाई के बीच आम आदमी के लिए राहत भरी खबर है. बीते सप्ताह विदेशी बाजारों में खाद्य तेलों के दाम टूटने की वजह से देशभर के तेल-तिलहन बाजारों में सरसों, मूंगफली, सोयाबीन तेल-तिलहन तथा बिनौला, कच्चा पामतेल (CPO), पामोलीन तेल सहित लगभग सभी खाद्य तेल तिलहन कीमतों (Edible Oil Price) में हानि दर्ज हुई. बाकी तेल-तिलहनों के भाव में बदलाव नहीं हुए. बाजार सूत्रों ने कहा कि आयातित खाद्य तेलों के सस्ता होने से बीते सप्ताह तेल तिलहन कीमतों में गिरावट आई.
बंदरगाहों पर पड़ा है आयातकों का तेल
सीपीओ का भाव मौजूदा समय में कमजोर हुआ है. आयातकों का तेल बंदरगाहों पर पड़ा है और अचानक भाव टूटने के बाद उन्हें सस्ते में बेचने की मजबूरी है. इसके अलावा आगे जो सीपीओ, सूरजमुखी और पामोलीन तेल की खेप आएगी, उसकी कीमत मौजूदा भाव से भी 20-30 रुपये किलो कम होगी.
अगले 10 दिनों में खाद्य तेल कीमतों में 8-10 रुपये लीटर तक कमी की उम्मीद
वैश्विक तेल-तिलहन कीमतों में आई भारी गिरावट के मद्देनजर बीते सप्ताह सरकार ने तेल संघों और तेल उद्योग वालों की बैठक बुलाई थी. बैठक में तेल संघों और तेल उद्योग के प्रतिनिधियों ने अगले 10 दिनों में खाद्य तेल कीमतों में 8-10 रुपये लीटर तक कमी करने का आश्वासन दिया है. विदेशों के साथ-साथ देश में भी खाद्य तेल-तिलहनों के भाव भारी दबाव में हैं जो कीमतों में गिरावट का मुख्य कारण है.
उपभोक्ताओं को नहीं मिल पा रहा है कीमतों में आई गिरावट का लाभ
उन्होंने कहा कि खाद्य तेल तिलहन कीमतों में लगभग 10 रुपये लीटर कमी करने के तेल कारोबारी और तेल संगठनों के प्रतिनिधियों आश्वासन के बावजूद वैश्विक तेल कीमतों में आई गिरावटों का समुचित लाभ उपभोक्ताओं को नहीं मिल पा रहा है क्योंकि एमआरपी लागत के मुकाबले लगभग 40-50 रुपये लीटर तक अधिक हैं. इस 50 रुपये में अगर 10 रुपये की कमी हो भी जाती है तो उपभोक्ताओं को वाजिब लाभ नहीं मिल पाएगा.