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क्‍यों मिडिल क्‍लास पर टिकी है भारत की इकॉनमी, खर्च और बचत को लेकर हुआ बड़ा खुलासा

देश में मिडिल क्लास परिवारों की संख्या में तेज इजाफा हुआ है. 2004-05 में मिडिल क्लास जहां कुल आबादी का 14 फीसदी थे वह 2021-22 तक दोगुने से अधिक बढ़कर 31 फीसदी हो गए. पीपल रिसर्च ऑन इंडियाज कंज्यूमर इकोनॉमी (प्राइस) के एक सर्वे में यह बात सामने आई है. सर्वे के मुताबिक, 2047 तक देश की कुल आबादी में मिडिल क्लास की हिस्सेदारी 63 फीसदी हो जाएगी.

सर्वे में अमीर, मिडिल क्लास, निम्न आय वर्ग और वंचितों को कुछ इस तरह से विभाजित किया गया है. 30 लाख रुपये से अधिक की सालाना आय वाले परिवार अमीर श्रेणी में, 5 लाख रुपये से अधिक व 30 लाख रुपये तक की आय वाले परिवार मध्यमवर्गीय श्रेणी में और 1.25 लाख रुपये से 5 लाख तक की आय वाले परिवार निम्न आय श्रेणी में रखे गए हैं. वहीं, 1.25 लाख रुपये से कम की सालाना आय वाले परिवार वंचितों की श्रेणी में हैं.
आय, खर्च और बचत के हिसाब से किसकी हिस्सेदारी सर्वाधिक
देश में 3 फीसदी परिवार व 4 फीसदी आबादी अमीर है जो कुल इनकम का 23 फीसदी जेनरेट करती है. देश के लोगों द्वारा किए गए जा रहे सालाना का खर्च का 17 फीसदी हिस्सा इस श्रेणी से आता है. वहीं, अमीरों द्वारा देश में हो रही कुल बचत का 43 फीसदी हिस्सा दिया जाता है. मिडिल क्लास की बात करें तो ये जनसंख्या का 31 फीसदी हैं. आय में इनकी हिस्सेदारी 50 फीसदी, खर्च में 48 फीसदी और बचत में 56 फीसदी है. निम्न आय वर्ग जनसंख्या का सबसे बड़ा हिस्सा हैं. ये कुल आबादी का 54 फीसदी हैं. जबकि इनकी आय 25 फीसदी, खर्च 32 फीसदी और बचत केवल 1 फीसदी है. भारत में वंचित कुल आबादी का 13 फीसदी हैं. आय में इनकी हिस्सेदारी 2 फीसदी, खर्च में 3 फीसदी और बचत में शून्य है.
किस राज्य में सर्वाधिक अमीर
महाराष्ट्र में देश के सबसे अधिक अमीरों वाला राज्य है. यहां 6.4 लाख परिवार सुपर रिच हैं जिनकी सालाना आय 2021 में 2 करोड़ रुपये से अधिक थी. 1.81 लाख के साथ दिल्ली दूसरे स्थान पर है. इसके बाद गुजरात (1.41 लाख), तमिलनाडु (1.37 लाख) और पंजाब (1.01 लाख) का स्थान है. सर्वे के मुताबिक, 1994-95 में देश में सुपर रिच परिवारों की संख्या 98000 थी जो 2020-21 में बढ़कर 18 लाख हो गई.