भारतीय रिजर्व बैंक (RBI) ने अन्य नियामकों के साथ मिलकर स्कूली शिक्षा बोर्ड के लिए एक वित्तीय साक्षरता कार्यक्रम तैयार किया है. तीन राज्यों को छोड़कर बाकी सभी ने इसे अपने स्कूली पाठ्यक्रम में जगह देने पर सहमति जताई है. आरबीआई के कार्यकारी निदेशक अनिल कुमार शर्मा ने सोमवार को यहां एक कार्यक्रम में यह जानकारी दी.
उन्होंने कहा, ‘‘अगर हम स्कूली शिक्षा में बुनियादी वित्तीय साक्षरता को समाहित कर पाते हैं तो वह देश में वित्तीय साक्षरता के विस्तार के लिए काफी अच्छा होगा.’’ शर्मा ने कहा कि इस वित्तीय साक्षरता कार्यक्रम को स्कूली पाठ्यक्रम का हिस्सा बनाने पर तीन राज्यों को छोड़कर अन्य ने सहमति दे दी है. उन्होंने कहा कि इस कार्यक्रम को सभी वित्तीय नियामकों के साथ परामर्श के बाद तैयार किया गया है.
जल्द स्कूलों में लागू होगा सिलेबस
शर्मा ने ‘सा-धन राष्ट्रीय वित्तीय समावेशन सम्मेलन 2022’ को संबोधित करते हुए कहा, ‘‘जब भी पाठ्यक्रम का पुनरीक्षण होगा, स्कूली शिक्षा बोर्ड इस साक्षरता कार्यक्रम को शामिल कर लेंगे. इस पाठ्यक्रम को खासतौर पर छठी से दसवीं कक्षा तक के विद्यार्थियों को ध्यान में रखते हुए तैयार किया गया है.’’
इसके साथ ही उन्होंने कहा कि केंद्रीय बैंक बैंकिंग प्रतिनिधि (बीसी) के समूचे ढांचे की समीक्षा कर रहा है क्योंकि यह व्यवस्था अपेक्षा के अनुरूप काम नहीं कर पाई है. इस दौरान बीसी की भूमिका और उनकी तरफ से दी जाने वाली सेवाओं से जुड़़े माम बिंदुओं पर गौर किया जा रहा है.
समाज के अंतिम व्यक्ति तक वित्तीय साक्षरता पहुंचाने के उद्देश्य से बीसी की संकल्पना की गई थी. हालांकि, उन्होंने कहा कि नियामकीय बंदिशों और परिचालन से जुड़ी अड़चनों के कारण इस उद्देश्य को हासिल नहीं किया जा सका है.