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रेलवे का बड़ा फैसला, वंदे भारत एक्सप्रेस के लिए 25 ट्रेनों के समय में किया बदलाव

पश्चिम रेलवे ने मुंबई-गांधीनगर वंदे भारत एक्सप्रेस (Vande Bharat Express Train) की समय सारिणी को ध्यान में रखते हुए 25 ट्रेनों के समय में बदलाव किया है. अधिकारियों ने यह जानकारी दी. विज्ञप्ति में मंगलवार को कहा गया, जिन ट्रेनों के समय में बदलाव किया गया है उनमें मुंबई-अहमदाबाद शताब्दी एक्सप्रेस भी शामिल है और गुजरात में वापी तथा अहमदाबाद रेलवे स्टेशनों के बीच इसकी समय सारिणी में बदलाव किया गया है. इसमें कहा गया है, ‘‘20901/02 मुंबई सेंट्रल-गांधीनगर कैपिटल वंदे भारत एक्सप्रेस के चलने से कई ट्रेनों के समय में बदलाव किया जाएगा.

पश्चिम रेलवे के मुख्य जनसंपर्क अधिकारी सुमित ठाकुर ने कहा कि ट्रेन के समय में केवल कुछ मिनटों का बदलाव किया गया है और नयी समय सारिणी अगले कुछ दिनों में प्रभावी होगी. ठाकुर ने कहा कि यह ट्रेन संचालन को सुचारू बनाने के लिए किया गया है.

इन ट्रेनों के समय में किया बदलाव
विज्ञप्ति के अनुसार, मुंबई सेंट्रल-अहमदाबाद गुजरात सुपरफास्ट एक्सप्रेस, हावड़ा-अहमदाबाद सुपरफास्ट एक्सप्रेस, बांद्रा टर्मिनस-गोरखपुर हमसफर एक्सप्रेस, और बांद्रा टर्मिनस-रामनगर सुपरफास्ट एक्सप्रेस कुछ ऐसी ट्रेनें हैं जिनके समय में बदलाव किया गया है. स्वदेशी रूप से डिजाइन और निर्मित सेमी-हाई स्पीड मुंबई-गांधीनगर वंदे भारत एक्सप्रेस को प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने इस साल 30 सितंबर को गुजरात की राजधानी से हरी झंडी दिखाई थी और अगले दिन से इसका व्यावसायिक संचालन शुरू कर दिया गया था.

वंदे भारत एक्सप्रेस भारत के महत्वपूर्ण शहरों के बीच यात्रा के समय को कम करने के लिए कई मार्गों पर भारतीय रेलवे द्वारा शुरू की गई सेमी-हाई स्पीड ट्रेन है. अब तक, पांच रणनीतिक मार्गों पर ट्रेनों का उद्घाटन किया गया है, सभी का उद्घाटन प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी द्वारा किया गया है. सरकार और यात्रियों के लिए इन ट्रेनों को महत्वपूर्ण माना गया है.

मैसूर-चेन्नई मार्ग पर दक्षिण भारत की पहली वंदे भारत ट्रेन
हाल ही में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने अपनी बेंगलुरु यात्रा के दौरान 12 नवंबर को मैसूर-चेन्नई मार्ग पर दक्षिण भारत की पहली वंदे भारत ट्रेन का उद्घाटन किया. बता दें कि वंदे भारत एक्सप्रेस की टॉप स्पीड 180 किमी प्रति घंटा होने का दावा किया जाता है (जैसा कि ट्रायल रन में हासिल किया गया है), इनमें से अधिकांश ट्रेनें अभी तक अपनी टॉप स्पीड तक नहीं पहुंच पाई हैं.