छत्तीसगढ़

बस्तर में आदिवासियों की झोपड़ी बने पर्यटन हब

रायपुर .बस्तर घुमने आने वाले विदेशी पर्यटक आजकल आदिवासियों के झोपड़ी नुमा घरों में रहना पसंद कर  रहे हैं . लाखों -करोड़ों खर्च कर बड़े-बड़े लग्जरी रिसॉर्ट तैयार करने के बाद भी राज्य पर्यटन विभाग यहां कभी भी पर्यटकों को आकर्षित नहीं कर सका, लेकिन एक साधारण से किसान ने बस्तर के एक नहीं, पांच-पांच गांवों को पर्यटन केंद्र में तब्दील कर दिया .जगदलपुर ब्लॉक के ग्राम पराली के किसान शकील रिजवी ने यह कमाल कर दिखाया है। उन्होंने न केवल इस ब्लॉक के पांच गांवों को पर्यटन हब के रूप में विकसित कर दिया है, वरन विदेशी सैलानियों को भी यहां लाने में कामयाब हो गए हैं। सभी विदेशी पर्यटक ग्रामीणों के घर पेइंग गेस्ट के रूप में ठहरते हैं। आदिवासियों की संस्कृति को करीब से देखते हैं, समझते हैं, घूमते-फिरते, खाते-पीते हैं। इससे ग्रामीणों को अतिरिक्त आमदनी भी हो रही है।पहली बार शकील ने जर्मनी के दो पर्यटकों को धुरवा आदिवासी के घर ठहराया, दोनों काफी खुश थे। सप्ताह भर पांच गांवों का भ्रमण करने के बाद जाते समय दोनों ने ग्रामीणों को अच्छे खासे रुपए दिए। इसके बाद शकील ने एक-एक कर नेतानार, गुड़िया, नानगूर, छोटेकवाली, बोदेल आदि गांवों को भी इस देसी पर्यटन हब से जोड़ लिया। प्रेरित करने पर कई ग्रामीणों ने अपने घरों में एक-एक अतिरिक्त कमरे भी बनवा लिए। अब तो आलम यह है कि हर साल 50-60 पर्यटक शकील के पास आते हैं, जिन्हें बस्तर के विभिन्न् ग्रामों में ठहराया जाता है। इन पर्यटकों को होटल में ठहरना पसंद नहीं, इन्हें बिलकुल नया तर्जुबा चाहिए जो कि इन आदिवासियों के घर में ही उन्हें मिलता है .