छत्तीसगढ़

पद्मश्री लौटाने पर यू-टर्न लेने वाले हेमचंद मांझी…पद्मश्री पुरस्कार नहीं लौटाएंगे

छत्तीसगढ़ के विख्यात वैद्यराज हेमचंद मांझी पद्मश्री नहीं लौटाएंगे. पहले वे इसे लौटाने वाले थे, लेकिन बाद में फैसला बदल लिया. दरअसल, नक्सलियों की धमकी के चलते उन्होंने 27 मई की दोपहर अचानक पद्मश्री सम्मान लौटाने की बात कह दी. इसके बाद प्रशासनिक अधिकारियों में हड़कंप मच गया. कांकेर एसपी ने उनसे बात की और उन्हें सुरक्षा का भरोसा दिया. इस बीच सरकार ने उन्हें ‘वाय’ श्रेणी की सुरक्षा भी दे दी. ये सुरक्षा मिलने के बाद हेमचंद मांझी ने कहा कि वे पद्मश्री नही लौटाएंगे, पर उपचार को बंद रखेंगे.

वैद्यराज के नाम से प्रसिद्ध हेमचंद मांझी नारायणपुर जिले के छोटेडोंगर में रहते हैं. 26 मई की देर रात नक्सलियों ने उन्हें जान से मारने की धमकी दी. नक्सली लंबे समय से मांझी पर घात लगाए हुए हैं. माओवादियों ने उन्हें विधानसभा चुनाव में भी मारने की कोशिश की थी. उस वक्त वे नहीं मिले तो माओवादियों ने उनके भतीजे को मौत के घाट उतार दिया था. नक्सलियों की धमकी के चलते जिला प्रशासन ने उन्हें गांव से निकालकर कहीं और शिफ्ट किया है. नक्सलियों ने नक्सलियों ने उन्हें भ्रष्टाचारी बताया है. उन्होंने पोस्टर में कहा है कि मांझी आमदई खदान का समर्थन करते हैं. उन्हें भगा देना चाहिए.

15 साल की उम्र में शुरू किया इलाज करना
गौरतलब है कि, हेमचंद मांझी छत्तीसगढ़ में वैद्यराज के रूप में जाने जाते हैं. उन्हें सरकार ने पिछले महीने की पद्मश्री पुरस्कार से सम्मानित किया है. ये पुरस्कार मिलने के बाद मांझी ने कहा कि वे बहुत खुश हैं. मांझी नारायणपुर में 15 साल की उम्र से लोगों का इलाज कर रहे हैं. वे कई बीमारियों का इलाज करते हैं. उनका कहना है कि जब वे छोटे थे तब एलोपैथी उतनी ज्यादा चलन में नहीं थी. उस वक्त लोग घरेलू दवाओं पर ही भरोसा करते थे.

बेहद कम फीस में करते हैं इलाज
पुराने समय में छत्तीसगढ़ में अस्पताल नाम की कोई चीज नहीं होती थी. लोग बेहद मुश्किलों का सामना करते थे. एलोपैथी कोई जानता भी नहीं था. इस बीच मांझी को जड़ी बूटियों और औषधीय पौधों की जानकारी मिली. उन्होंने इस पर काम करना शुरू किया और कम उम्र में वैद्य बन गए. शुरुआती दौर में मांझी इलाज के लिए किसी से फीस नहीं लेते थे. लेकिन, बाद में नाम मात्रा के रुपये लेने लगे.