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वेटिंग लिस्‍ट का टंटा होगा खत्‍म! सबको कंफर्म टिकट देने को रेलवे ने बनाया मेगा प्‍लान

भारतीय रेलवे दुनिया का चौथा सबसे बड़ा रेल नेटवर्क है. हर दिन लाखों यात्री ट्रेनों का इस्‍तेमाल एक स्‍थान से दूसरे स्‍थान तक आने-जाने को करते हैं. कम किराया और देश के लगभग हर बड़े शहर तक ट्रेनों की पहुंच के कारण भारत में रेलगाड़ी यातायात का सबसे पसंदीदा साधन है. लेकिन, एक दिक्‍कत यह है कि लंबी दूरी की ट्रेनों में हर यात्री को कंफर्म सीट नहीं मिल पाती. ट्रेन टिकट बुक करने वाले बहुत से यात्रियों की टिकट वेटिंग श्रेणी में रह जाती है. ऐसे बहुत से यात्रियों को मजबूरन सामान्‍य श्रेणी के डिब्‍बों में यात्रा करनी पड़ती है. लेकिन, अब सरकार इस समस्‍या को जड़ से समाप्‍त करने को गंभीरता से काम कर रही है. सरकार का लक्ष्‍य साल 2032 तक हर यात्री को कंफर्म सीट देने का है.

ट्रेनों में वेटिंग लिस्‍ट की समस्‍या को समाप्‍त करने के लिए सरकार कई स्‍तर पर कार्य कर रही है. रेल मंत्रालय का टार्गेट है कि रिजर्वेशन सीटों की डिमांड और सप्लाई के बीच के अंतर को कम किया जाए. इस योजना के तहत, रेल सेवाओं की क्षमता और दक्षता को बढ़ाने के लिए बेसिक रेल स्ट्रक्चर को मजबूत किया जा रहा है. रेल मंत्री अश्वनी वैष्‍णव भी कह चुके हैं कि इस दशक के अंत तक वेटिंग लिस्ट को पूरी तरह से खत्म करना सरकार का लक्ष्य है. आगामी वर्षों में यात्रियों की मांग को पूरा करने के लिए नई ट्रेनें खरीदने के लिए 1 लाख करोड़ रुपये खर्च किए जाएंगे. पुराने रोलिंग स्टॉक को बदला जाएगा. इससे रेलवे बेड़े में 7,000-8,000 नए ट्रेनें शामिल होंगी.

तकनीक का इस्‍तेमाल
ट्रेनों में उपलब्‍ध सीटों का सही इस्‍तेमाल करने के लिए भी भारतीय रेलवे प्रयासरत है ताकि ज्‍यादा से ज्‍यादा यात्रियों को कंफर्म टिकट दी जा सके. रेलवे आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस का इस्‍तेमाल भी वेटिंग टिकट की समस्‍या का समाधान करने के लिए करने जा रहा है. रेलवे आरएसी और वेटिंग टिकट यात्रियों को चलती ट्रेन में बर्थ के लिए एआई तकनीक का इस्‍तेमाल करने जा रहा है, जिसके बाद टीटी मनमानी नहीं कर पाएगा, यानी कुछ ले देकर टीटी आपकी बर्थ किसी और को नहीं दे पाएगा.

रेलवे की इन-हाउस सॉफ्टवेयर शाखा सेंटर फॉर रेलवे इंफॉर्मेशन सिस्टम एक आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस माड्यूल डेवलप कर रहा है. पिछले साल इसका सफल ट्रायल भी हो चुका है. इस AI मॉड्यूल से रेलवे को तुरंत यह पता चल जाएगा कि कैसे टिकट की बुकिंग और किस डेस्टिनेशन के लिए ज्‍यादा बुकिंग है. एआई से मिले डेटा की मदद से रेलवे करीब 6 फीसदी ज्‍यादा कंफर्म टिकट दे पाएगा.