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दस-बीस नहीं, 5 साल में 65 पेपर हुए लीक, NEET समेत इन एग्जाम में हुई धांधली

नीट यूजी 2024 के पेपर लीक मामले में बड़े पैमाने पर धरपकड़ जारी है. लेकिन पेपर लीक का यह कोई इकलौता मामला नहीं है. पिछले कुछ साल में पेपर लीक और पेपर आउट जैसे शब्द अक्सर ही सुनने को मिलते रहे हैं. रिपोर्ट्स के अनुसार पिछले पांच साल में यानी 2019 से जून 2024 के बीच कम से कम 65 बड़ी परीक्षाओं के पेपर लीक हो चुके हैं. ये वो मामले हैं, जिनमें या तो एफआईआर दर्ज हुई, गिरफ्तारियां हुई या परीक्षा ही रद्द कर दी गई.

जिन बड़ी परीक्षाओं के पेपर पिछले पांच साल में लीक हुए हैं उसमें भारतीय सेना की भर्ती परीक्षा कॉमन एंट्रेंस एग्जाम (CEE) 2023, सीटीईटी 2023, जेईई मेन्स 2021और नीट यूजी 2023 जैसी परीक्षाएं शामिल हैं.

कम से कम 45 भर्ती परीक्षाओं पेपर लीक

पेपर लीक के जो मामले हुए हैं उसमें से कम से कम 45 परीक्षाएं अलग-अलग सरकारी पदों पर भर्तियों के हैं. इनमें भी कम से कम 27 परीक्षाएं रद् हुई या फिर स्थगित की गई. पेपर लीक के 17 मामले राज्य बोर्ड या यूनिवर्सिटी की परीक्षाओं के हैं.

1 करोड़ से अधिक अभ्यर्थी पीड़ित

इंडियन एक्सप्रेस की एक अन्य रिपोर्ट के अनुसार पेपर लीक होने की वजह से फरवरी 2024 तक नौकरियों के लिए आवेदन करने वाले 15 राज्यों के 1.4 करोड़ आवेदन परेशान हुए. इन्होंने करीब 1.4 लाख से अधिक पदों के लिए आवेदन किए थे. रिपोर्ट यह भी कहती है कि पेपर लीक जैसे मामलों के बाद परीक्षाएं रद्द तो हुई, लेकिन उन्हें दोबारा आयोजित करने में बहुत लंबा वक्त लगा.

किस राज्य में हुए सबसे ज्यादा पेपर लीक?

इंडिया टुडे की रिपोर्ट के अनुसार सबसे अधिक पेपर साल 2021 में लीक हुए. उस साल 17 परीक्षाओं के पेपर आउट हुए. इसके बाद साल 2019 में नौ, 2020 में 12, 2022 में 11, 2023 में 12 और 2021 में अब तक पांच भर्ती परीक्षाओं के पेपर लीक हो चुके हैं. ये पेपर लीक के मामले देश के 19 राज्यों के हैं. आंकड़ों से यह भी पता चला कि सबसे ज्यादा पेपर लीक के आठ से ज्यादा मामले उत्तर प्रदेश में हुए हैं. इसके बाद राजस्थान और महाराष्ट्र सात-सात मामलों के साथ दूसरे स्थान पर हैं. बिहार में पेपर लीक के छह मामले, गुजरात व एमपी में 4-4 मामले हुए हैं. इसके अलावा हरियाणा, कर्नाटक, ओडिशा और बंगाल में स्कैम के तीन-तीन केस सामने आए हैं. वहीं, दिल्ली, मणिपुर और तेलंगाना में दो-दो घटनाएं दर्ज की गई. हिमाचल प्रदेश, उत्तराखंड, जम्मू-कश्मीर, झारखंड और नागालैंड में पेपर लीक के एक-एक केस सामने आए हैं. यह आंकड़ा जनवरी 2019 से 25 जून 2024 के बीच के हैं.