
भिलाई :- छत्तीसगढ़ के महान संत कवि पवन दीवान की दसवीं पुण्यतिथि के अवसर पर साहित्यिक संस्था अगासदिया के आमदी नगर, भिलाई स्थित परिसर में एक विशेष श्रद्धांजलि समारोह आयोजित किया गया। इस अवसर पर क्षेत्र के प्रबुद्धजनों और साहित्यकारों ने दीवान जी के योगदान को याद करते हुए उनके प्रति अपनी श्रद्धा व्यक्त की।
कार्यक्रम की अध्यक्षता करते हुए डॉ. परदेशीराम वर्मा ने कहा कि पवन दीवान छत्तीसगढ़ के पहले कवि थे जिन्होंने लाल किले में काव्य पाठ किया। उन्होंने अपनी संपूर्ण ऊर्जा और साधना छत्तीसगढ़ की संस्कृति व स्वाभिमान को समर्पित कर दी। डॉ. वर्मा ने यह भी बताया कि दीवान जी ने अपने जीवन के अंतिम दस वर्षों में माता कौशल्या की यशगाथा को प्रचारित कर छत्तीसगढ़ के गौरव को राष्ट्रीय स्तर पर स्थापित किया।
डॉ. सोनाली चक्रवर्ती, साहित्यकार एवं समाजसेवी, ने अपनी भावनाएं व्यक्त करते हुए कहा, “मुझे संत पवन दीवान के कई कार्यक्रमों का संचालन करने का अवसर मिला। वे न केवल एक संत कवि थे, बल्कि छत्तीसगढ़ के स्वाभिमान के प्रतीक भी थे।बद्रीप्रसाद पारकर ने अपने संस्मरण साझा करते हुए बताया कि उनके गांव में आयोजित एक भागवत प्रवचन में अपार भीड़ उमड़ी थी, जिससे यह स्पष्ट हुआ कि लोग पवन दीवान को पूजनीय मानते थे।
वरिष्ठ नागरिक संघ के अध्यक्ष अरुण अग्रवाल ने कहा कि आमदी नगर में दीवान जी के सम्मान में एक भव्य द्वार एवं तालाब का नामकरण उनके नाम पर किया जाना चाहिए।कार्यक्रम में बी. एल. मालवीय, डामन लाल साहू, अब्दुल कलाम, विकास नारखेड़े, स्मिता वर्मा, नीतीश, खुशबू वर्मा, संदीप चक्रवर्ती सहित बड़ी संख्या में साहित्यकार, समाजसेवी और संस्कृति कर्मी उपस्थित थे।
इस अवसर पर स्मिता वर्मा ने पवन दीवान द्वारा रचित प्रसिद्ध भजन “मैहर की शारदा भवानी, बेड़ा पार करो मां” का सस्वर गायन किया, वहीं खुशबू वर्मा ने “जय जय छत्तीसगढ़ महतारी” गीत प्रस्तुत कर सभी को भाव-विभोर कर दिया। कार्यक्रम का संचालन अब्दुल कलाम ने किया और अंत में खुशबू वर्मा ने सभी आगंतुकों का आभार व्यक्त किया।