ग्रीन्स जूलॉजिकल रेस्क्यू एंड रिहैबिलिटेशन सेंटर (GZRRC) ने शनिवार को सुप्रीम कोर्ट द्वारा जामनगर में एक चिड़ियाघर के निर्माण की अनुमति को चुनौती देने वाली जनहित याचिका खारिज करने पर खुशी जाहिर की और कहा कि पशु कल्याण के लिए वे अपना काम जारी रखेंगे. संगठन के प्रमुख धनराज नाथवानी ने कहा, ‘हम माननीय सर्वोच्च न्यायालय के फैसले का स्वागत करते हैं. पशुओं के कल्याण के लिए हम अपना काम आगे भी जारी रखेंगे. GZRRC जानवरों के कल्याण, बचाव, पुनर्वास और संरक्षण के साथ-साथ ऐसे पशुओं को विश्व स्तरीय पुनर्वास देखभाल प्रदान करने के लिए प्रतिबद्ध है, जिन्हें कठिन परिस्थितियों से बचाने की जरूरत है.’
दरअसल, सुप्रीम कोर्ट ने शुक्रवार को रिलायंस इंडस्ट्रीज द्वारा गुजरात के जामनगर में एक चिड़ियाघर के निर्माण की अनुमति को चुनौती देने वाली याचिका यह कहते हुए खारिज कर दी कि याचिका में कोई तर्क या आधार नहीं दिया गया है. न्यायमूर्ति दिनेश माहेश्वरी और न्यायमूर्ति कृष्ण मुरारी की पीठ ने ‘ग्रीन्स जूलॉजिकल रेस्क्यू एंड रिहैबिलिटेशन’ सेंटर द्वारा जानवरों के अधिग्रहण पर प्रतिबंध लगाने संबंधी एक वकील की याचिका खारिज कर दी.
शीर्ष अदालत ने कहा कि इस बात पर विवाद की कोई गुंजाइश नहीं है कि ग्रीन्स जूलॉजिकल रेस्क्यू एंड रिहैबिलिटेशन सेंटर एक मान्यता प्राप्त चिड़ियाघर होने के साथ-साथ एक रेस्क्यू सेंटर भी है. इसने कहा कि केंद्रीय चिड़ियाघर प्राधिकरण द्वारा चिड़ियाघर और बचाव केंद्र को मान्यता प्रदान करने में कोई कानूनी खामी नहीं है.
पीठ ने कहा, ‘प्रतिवादी संख्या-दो की विशेषज्ञता की कमी या व्यावसायीकरण के याचिकाकर्ता के आरोप अनिश्चित हैं और ऐसा नहीं लगता है कि इसने (याचिकाकर्ता ने) जनहित याचिका के अधिकार क्षेत्र का इस्तेमाल करते हुए इस अदालत के समक्ष आने से पहले जरूरी शोध किया है. याचिकाकर्ता कन्हैया कुमार ने ग्रीन्स जूलॉजिकल रेस्क्यू एंड रिहैबिलिटेशन सेंटर के प्रबंधन को लेकर एक एसआईटी के गठन की भी मांग की थी.